भारतीय राजनीति की शायद यह विडंबना रही है कि यहां राजनीतिक दल और नेता अक्सर किसी न किसी अदालती मामले में फंसते ही रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो भारत में राजनीति और अदालत का चोली-दामन का साथ है। वैसे भारत की लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में न्यायपालिका पूरी तरह स्वतंत्र है और अदालती फैसलों पर टिप्पणी नहीं की जा सकती, लेकिन राजनीतिक मामलों में अक्सर अदालती फैसलों को परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ता है। साल 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ इलाहाबाद हाइकोर्ट का वह ऐतिहासिक फैसला इसका जीता-जागता उदाहरण है, जिसने पूरे देश की राजनीति को न केवल प्रभावित किया, बल्कि इसे एक नयी दिशा भी दी। झारखंड इसका अपवाद नहीं है। बीते दो साल में राज्य के कम से कम पांच ऐसे मामले सामने आये हैं, जिन्होंने न केवल सूबे की राजनीति को प्रभावित किया, बल्कि उनकी व्यापक परीक्षा भी हुई। आज के विशेष में इन पांच मामलों पर एक नजर।
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रांची। आजसू पार्टी केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो की अध्यक्षता में मंगलवार को केंद्रीय सभा की बैठक रांची में हुई।…
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार का खजाना खाली है। सरकार काम करने के लिए ही 4210 करोड़…
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के रवींद्रनाथ महतो सर्वसम्मति से मंगलवार को झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष चुने गये। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन…
रांची। झारखंड सरकार ने मंगलवार को अनुपूरक बजट पेश किया। विधानसभा में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 4210 करोड़ रुपये की अनुपूरक बजट मांग पेश की। सबसे अधिक ग्रामीण विकास विभाग के लिए अनुपूरक बजट में प्रावधान किया गया है। इसके बाद गृह और ऊर्जा विभाग के लिए बजट आवंटित है। अनुपूरक बजट पेश करने के बाद शोक प्रकाश हुआ। साथ ही विधानसभा की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी गयी। बुधवार को बजट पर वाद-विवाद के बाद इसे पारित कराया जायेगा।
झारखंड में पार्टी को ऐसे चेहरे की तलाश है, जो कार्यकर्ताओं में नयी ऊर्जा भर सके
राहुल सिंह रांची। झारखंड विकास मोर्चा के सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अपने पुराने घर भाजपा में लौटेंगे? अब इसमें कोई संदेह…
रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ताबड़तोड़ फैसला लेना और आदेश देना शुरू कर दिया है। सोमवार को उन्होंने अपना पहला…
उत्साहित विधायक सदन की गरिमा को कायम रखेंगे: सीएम
रांची। पूर्व मंत्री एवं झाविमो विधायक बंधु तिर्की ने कहा कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक है। बाबूलाल मरांडी भाजपा…
राजनीति में हर हार और जीत के पीछे एक नहीं, कई वजहें होती हैं। उनमें कुछ प्रमुख होती हैं, तो कुछ सेकेंडरी। पर इनके सम्मिलित प्रभाव से किसी नेता या पार्टी की जीत या हार तय होती है। झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली हार ने पार्टी को इसके पीछे के कारणों पर मंथन के लिए विवश कर दिया है। इस मंथन से पार्टी को कई वजहें भी मिली हैं और कई बाद में भी मिलेंगी। झारखंड में और खासकर कोल्हान में भाजपा का सूपड़ा साफ होने की एक नहीं, कई वजहें थीं। कोल्हान में चुनावी मोर्चे पर पार्टी की दुर्गति के कारणों को खंगालती दयानंद राय की रिपोर्ट।
