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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोविड-19 टीकाकरण की चल रही तैयारियों की अधिकारियों के साथ समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना टीकाकरण के सफल क्रियान्वयन के लिए समय पूर्व पूरी व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाये। उन्होंने इसके लिए सभी विभागों और निजी स्वास्थ्य संस्थाओं के साथ समन्वय बनाने, टीकाकरण स्थल को चिह्नित करने, प्रशिक्षित मानव संसाधन और संबं

वे बौद्धिक हैं, बिना लाग-लपेट के अपनी बातें रखते हैं और झामुमो के सच्चे सिपाही हैं। अपने राजनीतिक कौशल का पूरा इस्तेमाल वे पार्टी हित में करते हैं। वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य हैं। गुरुवार को झामुमो के केंद्रीय कार्यालय में दयानंद राय ने उनसे लंबी बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत के संपादित अंश।
सवाल : सीएम के काफिले पर हमला प्रशासनिक चूक है या राजनीतिक साजिश?

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर चार जनवरी को रांची के किशोरगंज इलाके में हुए हमले से राज्य की सियासत एकबारगी गरम हो गयी है। सत्तारूढ़ झामुमो और उसके सहयोगी दलों ने जहां इस हमले के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं भाजपा इस घटना को राज्य की कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति से जोड़ कर सड़क पर उतर चुकी है। दूसरी तरफ झामुमो ने भी बाकायदा सड़क

राजधानी रांची में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हमले का मुख्य आरोपी भैरव सिंह ने सिविल कोर्ट के न्यायाधीश अभिषेक प्रसाद की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. अदालत ने उसे ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है. काफिले पर हमले के बाद से ही भैर

दो दिन पहले राजधानी रांची के किशोरगंज इलाके में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले पर हुए हमले ने एक साथ कई सवाल खड़े कर दिये हैं। इस घटना को महज कानून-व्यवस्था का मामला नहीं माना जा सकता है, बल्कि यह राज्य के लिए एक खतरनाक संकेत है। झारखंड के 20 साल के इतिहास में किसी भीड़ के अचानक सामने आने और हमला करने की अपनी तरह की यह पहली वारदात है। इस वारदात ने राज्य के खुफिया तंत्र, जिला पुलिस-प्रशासनिक तंत्र की भूमिका पर तो सवा

1947 में मिली आजादी के बाद से ही भारत में विकास की अवधारणा को राजनीति से जोड़ दिया गया। तब से लेकर आज तक किसी इलाके के विकास की पूरी जिम्मेवारी राजनीतिक नेताओं के कंधों पर ही है। यह एक हद तक सही भी है, क्योंकि इलाके के विकास के लिए आवाज उठाने की क्षमता और ताकत राजनीतिक लोगों में ही होती है। यदि किसी इलाके के राजनीतिक लोग वहां के विकास के लिए आवाज नहीं उठाते हैं, तो

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के काफिले सोमवार को हमला किया गया। यह हमला शाम छह बजे किशोरगंज चौक पर हुआ। हमलावर ओरमांझी में युवती की हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे। भीड़ में शामिल लोग हाथों में तख्तियां लिए हुए थे। यही भीड़ पहले पुतला जलाती है और फिर सीएम के काफिले पर हमले की योजना भी बनाती है।

झारखंड में हुए कुछ बड़े जमीन घोटाले की जांच जल्द सीआइडी शुरू करेगी। सीआइडी से उम्मीद इतनी बढ़ी कि अब जमीन घोटाले की जांच भी इस विभाग को सौंपी जा रही है। मूलत: अपराध अनुसंधान विभाग में अपराध से जुड़े मामलों की ही जांच होती है। सीआइडी के अधिकारियों की मेहनत ने इस तरह इस विभाग की छवि बदली और लोगों का भरोसा जिता कि अब जमीन घोटाले

झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से मैट्रिक और इंटरमीडिएट की परीक्षा की तिथि की घोषणा कर दी गयी है। इस बार 18 दिनों तक यह परीक्षा चलेगी। नौ मार्च से परीक्षा शुरू होगी और 26 मार्च को समाप्त हो जायेगी। जैक अध्यक्ष अरविंद सिं

झारखंड की चौथी विधानसभा के अध्यक्ष रहे प्रो दिनेश उरांव की गिनती साफ-सुथरे राजनीतिज्ञों में होती है, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी हार ने उन्हें गुमला की राजनीति में हाशिये पर लाकर ख

राजनीति बेहद अनिश्चितता का पर्याय है। यहां कब किसका सितारा बुलंद होगा और कब कौन हाशिये पर चला जायेगा, कहा नहीं जा सकता। झारखंड के दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं। वह झारखंड की सियासत में एक धूमकेतु की तरह उभरे और देखते-देखते सत्ता शीर्ष तक जा पहुंचे, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में पराजित होने के बाद वह न केवल झारखंड की राजनीति से, बल्कि भाजपा संगठन के भीतर भी हाशिये पर धकेल दिये गये। इन पांच सालों में व