प्रतिष्ठा में श्री मीनेश कुमार दुबे अधिवक्ता उच्चतम न्यायालय, नयी दिल्ली विषय: कानूनी नोटिस का जवाब संदर्भ: 16 मई, 2020…
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कोरोना के खिलाफ जंग और पौने दो महीने के लॉकडाउन के दौरान कई बातें हुईं, बहसें हुईं, आरोप-प्रत्यारोप भी खूब लगे और काम भी हुए। लेकिन इस कोलाहल के बीच जमाने के सामने दर्जनों ऐसी तस्वीरें आयीं, जिन्हें देख कर मन कचोटने लगा और भीतर से कहीं हूक सी उठी, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं बदल रहा। ये तस्वीरें हैं देश के विभिन्न हिस्सों से घर लौट रहे प्रवासियों के बच्चों की। कोई अपनी मां के कंधे पर ऊंघता नजर आ रहा, तो कोई भूख से बिलबिलाता दिख रहा। फूल से बच्चे चिलचिलाती धूप और संक्रमण के खतरों से भरे माहौल में अपने मां-बाप के दुख-दर्द के साक्षी बनते दिख रहे। कोई बच्चा चलते-चलते सूटकेस पर सो रहा, तो कोई बच्चा अपने पिता की मदद के लिए ठेला खींचता दिख रहा।
रोग से दूर रहने की जरूरत, रोगी से नहीं वैश्विक महामारी कोरोना ने सामाजिक असर दिखाना शुरू कर दिया है।…
वैश्विक महामारी कोरोना का संकट झारखंड में गहराने लगा है। पिछले 45 दिन में राज्य में संक्रमितों की संख्या दो सौ से पार पहुंच गयी है और आधे से अधिक जिलों में लोग इस खतरनाक संक्रमण की चपेट में आने लगे हैं। यह इस खूबसूरत और खनिज संपदा से भरपूर प्रदेश के लिए खतरे की घंटी है। राहत की बात इतनी ही है कि राज्य में इस संक्रमण से होनेवाली मौतों की संख्या बहुत कम है।
कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे 130 करोड़ लोगों के इस देश के करीब 25 लाख लोग भूखे पेट और नंगे पैर इस चिलचिलाती धूप में सड़कों पर हैं और घर वापस जाने के लिए जद्दोजहद में जुटे हैं। ये वे लोग हैं, जिनकी बदौलत देश की अर्थव्यवस्था के पहिये को ताकत मिलती है, यानी मजदूर। ये लोग कोरोना महामारी के साथ-साथ भूख और बेकारी से बचने के लिए अपने देस लौटने के लिए अपनी जान की परवाह किये बगैर निकल पड़े हैं और अंजाने में मौत के मुंह में समा रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जब 54 दिन के दौरान पांचवीं बार देश को संबोधित करते हुए ‘लोकल के लिए वोकल’ बनने का मंत्र दिया, तो सहसा बहुत से लोगों को इसका निहितार्थ समझ में नहीं आया। हकीकत में इसके मायने बहुत व्यापक हैं।
लॉकडाउन के दौरान बेबसी की तस्वीरें देख रूह कांप जाती हैं। इंदौर बाईपास का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। वायरल वीडियो के बारे में बताया जा रहा है कि इंदौर से सटे मंगलिया बाईपास का है।
लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों का सब्र जवाब दे गया है। रोजगार न होने के कारण आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे मजदूरों ने किसी भी तरीके से अपने गांव वापस जाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। इस दौरान वे हजारों किमी की दूरी पैदल पार करने को भी तैयार हैं।हैदराबाद में ऐसी ही एक मजदूर महिला 800 किमी की दूरी पैदल पार करने का मन बनाकर निकली है। वह सात महीने की प्रेगनेंट है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले की रहने वाली मुजीबुर रेणु अपने पति मुजीबुर रहमान के साथ अपने गांव के लिए निकली हैं।
कोरोना संकट के इस दौर में सोमवार 11 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर के मुख्यमंत्रियों से बात…
कोरोना वायरस लाॉकडाउन की वजह से शुरू हुईं मजदूरों की दिक्कतें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार ने प्रवासी लोगों की मदद को ट्रेनें जरूर चला दी हैं लेकिन अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जिन्हें इसमें सीट मिलना दूर की कौड़ी नजर आ रही है।
आजाद सिपाही संवाददाता रांची। सूरत में झारखंडी मजदूर वासुदेव शर्मा की कथित भाजपा कार्यकर्ता राजेश वर्मा की ओर से पीटे…
