बंगला को लेकर ‘माननीयों’ का मोह पुराना है। ज्यादातर ‘माननीय’ चुनाव हारकर या कुर्सी से बेदखल होकर ‘पूर्व’ हो जाने…
Browsing: स्पेशल रिपोर्ट
दुमका और धनबाद में झामुमो के स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री के भाषणों के निहितार्थ
मंत्री हो या संतरी या फिर कोई विधायक, कामना सबमें होती है। जब कामना दिल में हिलोरे मारने लगती है,…
राजनीति में परिस्थितियां कब किस नेता को घर बदलने पर मजबूर कर दें यह कहना मुश्किल है। पर जब ऐसी…
अटकलों और चर्चाओं का बाजार समेटे आज रांची लौटेंगे मरांडी
पीएम और सीएम से भी बड़ा मानता है अपने को
क्राइम कंट्रोल छोड़ हर फन में माहिर है झारखंड पुलिस
भाजपा के नये अध्यक्ष के रूप में जगत प्रकाश नड्डा की ताजपोशी के साथ ही अब प्रदेशों में संगठन में…
वे सहज हैं, सरल हैं और पाकुड़ की जनता की उम्मीदों पर खरे हैं। वह आलमगीर आलम हैं। क्षेत्र की…
कोयले के काले कारोबार में अफसर और नेताओं का अटूट गठबंधन
झारखंड में महागठबंधन की सरकार मुकम्मल तौर पर अभी आकार नहीं ले सकी है। महागठबंधन की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की उबाल लेती महात्वाकांक्षाओं ने सरकार के मुखिया हेमंत सोरेन के सामने कुछ असहज स्थिति उत्पन्न कर दी है। मंत्रियों की संख्या और विभागों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस की ओर से पेश की जा रही डिमांड के बीच हेमंत सोरेन की चुनौती इस बात को लेकर है कि वे कैसे संतुलन साधते हैं। हालांकि हेमंत अब राजनीति के परिपक्व खिलाड़ी हैं और उम्मीद यही है कि वे इस गतिरोध का बेहतर समाधान निकाल भी लेंगे। बहरहाल, कांग्रेस नेताओं की महत्वाकांक्षा की वजह से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समक्ष खड़ी हुई चुनौतियों पर बारीक निगाह डालती दयानंद राय की रिपोर्ट।