सिर्फ 37 प्रतिशत काम कर रही किडनी
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आजाद सिपाही संवाददाता रांची। झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी अगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए कार्यकर्ताओं में जोश भरने का काम…
झारखंड में विधानसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच विपक्षी खेमे का माहौल बेहद तनावपूर्ण है। यहां एक मठ में इतने अधिक जोगी हो गये हैं कि हर कोई दूसरे पर आंखें तरेर रहा है। गठबंधन की कमान चूंकि झामुमो के पास है, इसलिए सबसे अधिक परेशानी उसको ही है। लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन की अप्रत्याशित हार के बाद से झामुमो में नये युग का आगाज हुआ है और हेमंत सोरेन के नेतृत्व को लगातार अपने ही सहयोगी दलों से चुनौती मिल रही है। पहले बाबूलाल मरांडी और फिर कांग्रेस के बाद अब राजद की ओर से तेजस्वी यादव ने भी गठबंधन को चुनौती दे दी है। अपने सहयोगी दलों के इस रवैये से हेमंत सोरेन कहीं न कहीं परेशान जरूर हो रहे हैं, क्योंकि यह चुनाव उनके लिए करो या मरो जैसा है। एक तरफ भाजपा बूथों की मैपिंग के स्तर तक पहुंच गयी है, तो दूसरी तरफ हेमंत सोरेन अपने सहयोगी नेताओं की धमकियों से जूझ रहे हैं। उनके सामने यह खतरा है कि अधिक संख्या में जोगी होने से कहीं मठ ही न उजड़ जाये। विपक्षी खेमे में इस असहज परिस्थिति के संभावित परिणाम पर दयानंद राय की खास रिपोर्ट।
सोशल मीडिया में आज एक फर्जी पत्र वायरल हो रहा है। कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के अपर मुख्य…
लोहरदगा और गुमला में कार्यकर्ताओं संग बैठे रघुवर दास और जेपी नड्डा
बूथ कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र बता गये सीएम और नड्डा
रोज सुबह-शाम एक घंटा बूथ पर
जेएमएम और कांग्रेस ने झारखंड की अस्मिता बेची
झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है। सत्ता में वापसी के लिए प्रभावी रणनीति तैयार करने में जुटी भाजपा इस बार हर हाल में जीतना चाहती है। इसके लिए वह अपना घर तो मजबूत कर ही रही है, विरोधियों को कमजोर करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा के लिए झारखंड कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव के बाद से पार्टी के कम से कम आधा दर्जन नेता राज्य में प्रवास कर चुके हैं। झारखंड में विरोधियों को ‘चेक मेट’ करने के अभियान में पार्टी के केंद्रीय नेता जुटे हुए हैं। जातीय समीकरणों को खासा तवज्जो दिया जा रहा है और अलग-अलग नेताओं को अलग-अलग जातियों के नेताओं से बात करने की जिम्मेवारी सौंपी गयी है। इतना ही नहीं, भाजपा ने उन बूथों की पहचान की है, जहां से उसे बढ़त हासिल नहीं होती है। उन बूथों के लिए अलग-अलग लोगों को तैनात किया जा रहा है। दूसरे शब्दों में कहें, तो भाजपा इस बार साम-दाम-दंड-भेद, सभी हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए पूरी तरह तैयार दिखती है। भाजपा की चुनावी तैयारियों और झारखंड की राजनीति में होनेवाली उथल-पुथल पर आजाद सिपाही पॉलिटिकल ब्यूरो की खास रिपोर्ट।
नयी दिल्ली। झारखंड कैडर के आइएएस अधिकारी राजीव गौबा ने शुक्रवार को नये कैबिनेट सचिव का पदभार संभाल लिया। वह…
रांची। रांची में मजदूर बनकर रह रहे पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के एक उग्रवादी सुदाय सिंह उर्फ सदानंद…
सीएम से किताब पर प्रतिबंध लगाने का किया गया आग्रह, गृह विभाग ने रामदयाल मुंडा शोध संस्थान से मांगी रिपोर्ट
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय खेल दिवस के मौके पर गुरुवार को फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत की।…