मुंबई बॉलिवुड ऐक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत की खबर ने हर किसी को हैरान कर दिया है। लोग सुशांत…
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राज्य के सरकारी और निजी उद्यमों को आगे आना होगा वैश्विक महामारी कोरोना ने पूरी दुनिया को हिला कर रख…
संसद के ऊपरी सदन, यानी राज्यसभा के लिए होनेवाले चुनाव को लेकर इस बार राजनीतिक गहमा-गहमी कुछ ज्यादा ही है। गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक से लेकर झारखंड तक में इस चुनाव को लेकर सियासी गतिविधियां उफान पर हैं। बाकी राज्यों में विधायकों की खरीद-फरोख्त और पाला बदलने की चर्चाओं के बीच झारखंड में दूसरे कारण से यह चुनाव चर्चा में आ गया है। वैसे तो राज्यसभा का हर चुनाव झारखंड में चर्चित होता है, लेकिन इस बार झारखंड की चर्चा अधिकारों पर पैदा हुई जिच को लेकर है। इस जिच के केंद्र में तीन विधायक हैं, जो विधानसभा
15 नवंबर, 2000 को जब भारत के राजनीतिक मानचित्र पर 29वें राज्य के रूप में झारखंड की स्थापना की गयी थी, तब यहां के लोगों को लगा था कि अब उनके दिन बहुरनेवाले हैं। अपने दो दशक की यात्रा में झारखंड ने बहुत कुछ देखा, झेला और हासिल किया। 14 साल तक तो राज्य हमेशा राजनीतिक अस्थिरता के भंवर में गोते लगाता रहा। लेकिन 2014 से 19
पांच महीने पहले दिसंबर में जब झारखंड विधानसभा का चुनाव हुआ था और झामुमो-कांग्रेस-राजद का गठबंधन ऐतिहासिक जीत हासिल कर सत्तारूढ़ हुआ था, तभी से राजनीतिक हलकों में कहा जाने लगा था कि हेमंत सोरेन के लिए शासन चलाना उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि केंद्र में उनके प्रतिद्वंद्वी की सरकार है। हालांकि शपथ ग्रहण के ठी
झारखंड में 19 जून को होनेवाले राज्यसभा चुनाव की तैयारियों के साथ ही अब दुमका और बेरमो सीट के उपचुनाव की सुगबुगाहट भी तेज होने लगी है। दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद इन दोनों सीटों पर होनेवाला उपचुनाव कितना कांटे का होगा, इस बात का एहसास इसी से हो जाता है कि सत्तारूढ़ झामुमो और कांग्रेस जहां इन दोनों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी, वहीं भाजपा विधानसभा चुनाव में हुई करारी पराजय की पीड़ा को भुलाने की हरसंभव कोशिश करेगी। इसके अलावा इन दोनों सीटों पर होनेवा
राजनीति केवल अवसरवादिता का खेल नहीं है। यदि ऐसा होता, तो राजनीतिक दलों के लिए अवसरों की कमी कभी नहीं रही, लेकिन बहुत से अवसर पर इसका लाभ उठाने की उन्होंने नहीं सोची, क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम ठीक नहीं होते। झारखंड में भाजपा शायद राजनीति के इस गूढ़ मंत्र को भूल गयी है। तभी पार्टी ने अपने बाहुबली विधायक ढुल्लू महतो के पक्ष में बयान देकर पूरी पार्टी को नये विवाद में डाल दिया है। राज्यसभा चुनाव में पार्टी के विधायकों का अभी क्या महत्व है, इसे तो आसानी से समझा जा सकता है, लेकिन भाजपा ने एक ऐसा मु
आजाद सिपाही संवाददाता रांची। एयरपोर्ट पर सोमवार की सुबह करीब दस बजे जब लेह-लद्दाख से आने वाले विमान के यात्री…
आजाद सिपाही संवाददाता रांची। वैश्विक महामारी कोरोना के मद्देनजर ग्रामीण इलाकों में प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के तहत ज्यादा मानदेय…
24 मार्च को जब कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन का एलान किया गया था, झारखंड में संक्रमण का कोई मामला नहीं था। लेकिन आज यह संख्या एक हजार के पार जा चुकी है और अगले 24 घंटे में लॉकडाउन खत्म होने का पहला चरण, यानी अनलॉक-1 शुरू होनेवाला है। यह झारखंड के लिए बेहद खतरनाक और चिंतनीय स्थिति है, क्योंकि यहां जिस रफ्तार में संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है, राज्य की तबाही की आशंका उतनी ही बलवती हो
पहली बार होगा, जहां पैसा नहीं बोलेगा, साम और दंड का होगा इस्तेमाल दोनों पक्षों में चल रही एक-दूसरे को…
