बिहार में विधानसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं और तीसरे चरण के मतदान के लिए प्रचार खत्म हो चुका है और मतदान शनिवार को होगा। इस चुनाव की यदि एक उपलब्धि का जिक्र इतिहास में किया जायेगा, तो निश्चित तौर पर वह होगा तेजस्वी यादव का नया अवतार। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे पुत्र तेजस्वी ने इस चुनाव में न केवल अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी है, बल्कि साबित कर दिया है कि वह अब बच्चे नहीं हैं। बिहार का चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी हो, तेजस्वी ने अपनी जमीन तैयार कर ली है और उनकी तारीफ इस बात को लेकर होनी चाहिए कि उन्होंने अपनी भूमिका के साथ कभी कोई अन्याय नहीं किया।
Browsing: स्पेशल रिपोर्ट
देश के चर्चित पत्रकार अर्णब गोस्वामी को चार नवंबर की सुबह महाराष्ट्र की पुलिस ने दो साल पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी ने साबित कर दिया है कि भारतीय पुलिस व्यवस्था पूरी तरह राजनीतिक रंग में रंग चुकी है और उससे मानवाधिकारों की रक्षा की बात बेमानी है। अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी जिस मामले में की गयी है, वह दो साल पुराना है और अदालत में पुलिस ने इसे बंद करने का शपथ पत्र दिया हुआ है। इसके बावजूद देश के एक प्रतिष्ठित पत्रकार और उससे भी कहीं अधिक एक नागरिक को जिस बेशर्म तरीके से उसके घर से घसीटा गया, उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया
30 अक्टूबर को जब भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सुखदेव भगत को निष्कासित किया, तो इसे उन्होंने बड़ी सहजता से लिया। निष्कासन पर उनके बोल थे, धन्यवाद भाजपा और इसके बाद उन्होंने चुप्पी साध ली। हालांकि उनके दिल में कहने के लिए बहुत कुुछ था, पर वह जानते थे कि इस समय कम बोलना ही उनके लिए अच्छा है।
राजनीतिक रूप से देश के सबसे संवेदनशील राज्य बिहार में विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण मंगलवार को पूरा होगा। इसके साथ ही राज्य की 243 में से 165 सीटों पर जनता का फैसला इवीएम में कैद हो जायेगा। तीसरे चरण का मतदान सात नवंबर को है। पिछले सवा महीने से चल रहे चुनाव प्रचार अभियान के दौरान एक बात साफ तौर पर नजर आयी कि इस बार चुनावी सभाओं में उमड़ी भीड़ के मामले में राजद के युवा नेता तेजस्वी यादव बाजी मार ले गये। यदि चुनावी सभाओं में उमड़ी भीड़ से जीत-हार तय होती, तो तेजस्वी कम से कम नीतीश कुमार से बहुत आगे रहे। यह बात दीगर है कि सभाओं
झारखंड विधानसभा की दो सीटों के लिए होनेवाले उप चुनाव का प्रचार खत्म हो गया है। दुमका और बेरमो में तीन नवंबर को मतदान होगा। इस उप चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के रुख से एक बात साफ हो गयी है कि झारखंड में राजनीति का चेहरा कुछ और आक्रामक हो गया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इन दोनों क्षेत्रों में करीब तीन सप्ताह तक चले चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सियासत का नया रंग देखने को मिला। प्रचार अभियान के दौरान दोनों ही पक्षों ने
बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण से ठीक पहले आरक्षण का जिन्न प्रकट हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनसंख्या के हिसाब से आरक्षण देने की वकालत कर जिस राजनीतिक ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया है, वह उन्हें चुनावी लाभ तो दिला सकता है, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बेहद खतरनाक हो सकते हैं। भारत में, खास कर हिंदी पट्टी के राज्यों में आर
झारखंड की उप राजधानी दुमका और कोयला क्षेत्र की प्रमुख सीट बेरमो में हो रहे उप चुनाव में अब चार दिन बाकी रह गये हैं। इसलिए इन दोनों क्षेत्रों में चुनाव प्रचार अभियान चरम पर पहुंच गया है। इन दोनों सीटों पर प्रचार का शोर एक नवंबर की शाम को थमेगा, लेकिन अभी चल रहे प्रचार ने साबित कर दिया है कि झारखंड की राजनीति के लिए इन दोनों सीटों की क्या अहमियत है। सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से दुमका में झामुमो के बसंत सोरेन और बेरमो में कांग्रेस के कुमार जयमंगल उर्फ अनुप सिं
…बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान संपन्न हो चुका है और अब राजनीतिक दल दूसरे चरण के लिए कमर कस चुके हैं। सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से प्रचार की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभाल चुके हैं। पहले चरण के मतदान के दिन पीएम मोदी बिहार की दूसरी यात्रा पर आये और तीन चुनावी रैलियों को संबोधित किया। उनकी इस यात्रा के दौरान एक बात, जो सभी ने नोट की, वह य
…दुमका और बेरमो में तीन नवंबर को होनेवाले विधानसभा उप चुनाव के लिए प्रचार अभियान चरम पर पहुंच गया है। दोनों सीटों पर सत्तारूढ़ झामुमो-कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। दोनों ही सीटों पर चुनाव प्रचार के दौरान बयानों के तीर खूब चल रहे हैं। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इस अभियान के दौरान अब झामुमो और कांग्रेस ने भाजपा पर राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश का आरोप लगा कर चुनावी माहौल के तापमान को बेहद गरम कर दि
बिहार विधानसभा के चुनाव के पहले चरण के मतदान के ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव-राबड़ी देवी के खिलाफ जो टिप्पणी की है, उसे राजनीतिक हलकों में आश्चर्य से देखा जा रहा है। नीतीश कुमार देश के एक गंभीर राजनेता माने जाते हैं और उन्हें राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है। नीतीश कुमार आम तौर पर अपने विरोधियों के लिए सस्ती टिप्पणी नहीं करते हैं। लेकिन
झारखंड को राजनीति की प्रयोगशाला के विशेषण से यूं ही नहीं नवाजा गया है। यह राज्य जितना छोटा है, उतनी ही गहरी और संवेदनशील यहां की राजनीति है। इसलिए यहां कौन कब किस कारण से अपनी पार्टी को छोड़ दूसरे खेमे में शामिल हो जायेगा, इसकी भनक भी