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कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च को लागू किया गया देशव्यापी लॉकडाउन अगले सप्ताह खत्म होना शुरू हो जायेगा। वाहनों की आवाजाही तो खैर कल से ही शुरू हो जायेगी। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल जो पैदा होता है, वह यह है कि क्या इस सवा दो महीने के लॉकडाउन से भारत में इस खतरनाक संक्रमण के फैलने पर रोक लग सकी।

बाहर में प्रतिबंध का फैसला राज्य लेंगे आजाद सिपाही संवाददाता नयी दिल्ली। सरकार ने कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन को 30…

रांची। झारखंड के सभी तकनीकी संस्थानों में अब ससमय अधिक से अधिक सीटें भरी जा सकेंगी । मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन…

कोरोना संकट के दौर में झारखंड समेत पूरे देश में निजी स्कूलोें की फीस माफी का मुद्दा गरमाया हुआ है। देश के विभिन्न राज्यों में अभिभावकों को राहत देते हुए सरकारों की ओर से निर्देश जारी किये गये हैं। वहीं, झारखंड में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने भी निजी स्कूलों से फीस माफी की अपील की थी, पर इस अपील की जैसी बेअदबी निजी स्कूलों के प्रबंधन ने की, उससे यह साफ हो गया है कि निजी स्कूल किसी भी परिस्थिति में अपनी आय में कटौती करना नहीं चाहते। उन्हें कतई यह मंजूर नहीं है कि लॉकडाउन अवधि की फीस माफी हो।

कोरोना संकट के इस दौर ने पूरी दुनिया को कई नयी चीजें सिखायी हैं और कई नयी परंपराएं स्थापित हुई हैं। गुरुवार 28 मई का दिन इसी कड़ी में एक दिन रहा, जब उत्साही युवाओं की एक टोली ने झारखंड के 180 प्रवासी श्रमिकों के लिए विमान की व्यवस्था कर दी और उन्हें रांची भेज दिया। इन युवाओं ने क्राउड फंडिंग के जरिये महज कुछ घंटों के भीतर 11 लाख रुपये जुटा लिये और किराये पर विमान ले लिया।

आजाद सिपाही संवाददाता रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस निरंजन कुमार के खिलाफ निगरानी जांच के आदेश दिये हैं, उनके…

पांच महीने पहले झारखंड की सत्ता संभालनेवाले हेमंत सोरेन ने एक और साहसिक फैसला लेकर राज्य में व्याप्त गड़बड़ियों और ताकतवर अधिकारी लॉबी को सकते में डाल दिया है। इस फैसले के बाद उन तमाम राजनीतिक पंडितों की जुबान पर ताला लग गया है, जो कहते थे कि गठबंधन सरकार चलाते हुए हेमंत सोरेन साहसिक और बड़े फैसले नहीं ले सकते।

कोरोना संकट ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। अर्थव्यवस्थाएं बर्बादी की कगार पर पहुंच गयी हैं। भारत भी भयानक मंदी की कगार पर खड़ा है और स्वाभाविक तौर पर झारखंड पर भी इसका असर पड़ रहा है। दो महीने से आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हैं, तो आमदनी भी शून्य हो गयी है। ऐसे में झारखंड जैसे राज्य के लिए एक विशेष आर्थिक खुराक की जरूरत है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पहले ही कह चुके हैं कि राज्य की माली हालत पूरी तरह खस्ता है और खजाना खाली है