Browsing: स्पेशल रिपोर्ट

हैप्पी बर्थ डे झारखंडहैप्पी बर्थ डे झारखंड। अपना झारखंड 20 साल का हो गया। एक ऐसा युवा राज्य, जिसकी आंखों में तमाम रंगीन सपने हैं, क्षमता है और अपार सभावनाएं हैं। एक आम भारतीय परिवार में जब बच्चा 20 साल का हो जाता है, तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह भविष्य की अपनी राह तय कर चुका है और अब उसे उसी रास्ते पर आगे बढ़ने के लिए परिवार और समाज के समर्थन की जरूरत है, ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। एक राज्य के रूप में झारखंड ने 20 साल के कालखंड में कई मुकाम हासिल किये हैं, लेकिन यहां के सवा तीन करोड़ लोगों में कहीं न कहीं ‘अबुआ राज’ के

मेहनत जब जीतने के लिए की जाये और नतीजा हार के रूप में सामने आये, तो आत्ममंथन जरूरी होता है। झारखंड विधानसभा की दो सीटों दुमका और बेरमो में हुए उपचुनाव के बाद झारखंड भाजपा को आत्ममंथन की जरूरत है। जरूरत बिहार भाजपा के नेताओं को भी है कि आखिर बिहार विधानसभा चुनाव में जो नतीजे अपेक्षित थे, वे क्यों नहीं आये।

बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित किये जा चुके हैं। कांटे के मुकाबले में एनडीए एक बार फिर दुनिया को लोकतंत्र का पाठ पढ़ानेवाले प्रदेश के शासन की बागडोर संभालने के लिए तैयार है। बिहार का चुनाव परिणाम इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाता है कि इसने पिछले छह साल से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में मोदी मैजिक के असर को दोबारा स्थापित किया है। इसी मैजिक ने 15 सा

झारखंड की दो विधानसभा सीटों, दुमका और बेरमो में जीत हासिल कर झामुमो और कांग्रेस स्वाभाविक तौर पर बेहद संतुष्ट हैं। इस चुनाव परिणाम से हालांकि राज्य की हेमंत सोरेन सरकार की सेहत पर कोई अंतर नहीं पड़ा है, लेकिन विधानसभा में सत्ता पक्ष की स्थिति मजबूत होना एक तरह का लाभ ही है। इन दोनों सीटों पर हुए उप चुनाव को जीत कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पहली वार्षिक परीक्षा अव्वल नंबरों से पास कर ली है। दूसरी तरफ भाजपा के लिए दिसंबर में हुई पराजय के बाद वापसी की कोशिश को करारा झटका लगा है। पहले ही कहा जा रहा था दुमका-बेरमो जहां हेमंत सोरेन सरकार की परीक्षा है, वहीं भाज

झारखंड की सियासत एक बार फिर गरमा गयी है। इस बार मुद्दा आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड बना है। राज्य में सत्तारूढ़ झामुमो ने इस मुद्दे पर अपना स्टैंड साफ करते हुए इस मांग का समर्थन किया है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी बुलाया है। कांग्रेस का इसमें पूरा समर्थन है। लेकिन सबसे आश्चर्यजनक लगती है भाजपा की चुप्पी। कोर कमेटी की बैठक तो हुई, लेकिन उसमें भाजपा ने अपने स्टैंड के पत्ते नहीं खोले। हालांकि पूर्व में भाजपा

झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में नामांकन पर नेशनल मेडिकल काउंसिल की रोक का विवाद गहराता जा रहा है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एनएमसी को पत्र भेज कर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। एनएमसी ने कहा है कि दुमका, हजारीबाग और पलामू मेडिकल कॉलेजों में आश्वासन के बावजूद निर्धारित समय में वे सारे संसाधन नहीं जुटाये गये, जिनकी मेडिकल की पढ़ाई में जरूरत होती है। इसलिए इन तीन मेडिकल कॉलेजों में नामांकन नहीं लिया जा सकता। यह

झारखंड सरकार ने देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआइ को बगैर अनुमति राज्य में किसी भी मामले की जांच करने पर रोक लगा दी है। ऐसा करनेवाला झारखंड सातवां राज्य है, लेकिन इस फैसले के साथ एक गंभीर सवाल यह पैदा हो गया है कि क्या भारतीय संघवाद की अवधारणा एक-एक कर बिखर रही है। केंद्र और राज्यों के रिश्तों की बुनियाद पर खड़ी भारतीय संघ की

बिहार में विधानसभा चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं और तीसरे चरण के मतदान के लिए प्रचार खत्म हो चुका है और मतदान शनिवार को होगा। इस चुनाव की यदि एक उपलब्धि का जिक्र इतिहास में किया जायेगा, तो निश्चित तौर पर वह होगा तेजस्वी यादव का नया अवतार। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के छोटे पुत्र तेजस्वी ने इस चुनाव में न केवल अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज करायी है, बल्कि साबित कर दिया है कि वह अब बच्चे नहीं हैं। बिहार का चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी हो, तेजस्वी ने अपनी जमीन तैयार कर ली है और उनकी तारीफ इस बात को लेकर होनी चाहिए कि उन्होंने अपनी भूमिका के साथ कभी कोई अन्याय नहीं किया।

देश के चर्चित पत्रकार अर्णब गोस्वामी को चार नवंबर की सुबह महाराष्ट्र की पुलिस ने दो साल पुराने मामले में गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी ने साबित कर दिया है कि भारतीय पुलिस व्यवस्था पूरी तरह राजनीतिक रंग में रंग चुकी है और उससे मानवाधिकारों की रक्षा की बात बेमानी है। अर्णब गोस्वामी की गिरफ्तारी जिस मामले में की गयी है, वह दो साल पुराना है और अदालत में पुलिस ने इसे बंद करने का शपथ पत्र दिया हुआ है। इसके बावजूद देश के एक प्रतिष्ठित पत्रकार और उससे भी कहीं अधिक एक नागरिक को जिस बेशर्म तरीके से उसके घर से घसीटा गया, उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया

30 अक्टूबर को जब भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सुखदेव भगत को निष्कासित किया, तो इसे उन्होंने बड़ी सहजता से लिया। निष्कासन पर उनके बोल थे, धन्यवाद भाजपा और इसके बाद उन्होंने चुप्पी साध ली। हालांकि उनके दिल में कहने के लिए बहुत कुुछ था, पर वह जानते थे कि इस समय कम बोलना ही उनके लिए अच्छा है।