मरांडी के लिए नयी चुनौतियों से निबटना आसान नहीं होगा
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तमतमाए हुए हैं जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी
घर वापसी के बाद पहली बार प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचे बाबूलाल
यूपीए में लगायी सेंध, हासिल किया बड़ा आदिवासी चेहरा
प्रभात तारा मैदान बनेगा एक और इतिहास का गवाह, महामिलन की तैयारियां अंतिम चरण
राडार पर हैं सुनील वर्णवाल, राजबाला वर्मा और पूजा सिंघल
खबर विशेष में हम बात कर रहे हैं झारखंड के आगामी वार्षिक बजट और इससे जुड़ी हेमंत सरकार की चुनौतियों की। इस बजट से तय होगा कि नयी सरकार किन रास्तों पर बढ़ेगी। चूंकि यह हेमंत सरकार का पहला बजट होगा। लिहाजा लोगों ने बड़ी उम्मीदें बांध रखी हैं। राज्य के हर वर्ग की अपनी आकांक्षाएं, अपनी उम्मीदें हैं। झारखंड मुुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले जनता से जो वादे किये हैं, अब उन्हें पूरा करने का वक्त आ गया है। युवाओं, महिलाओं, गरीबों और आदिवासियों की निगाहें सरकार पर है ं। रोजगार की तलाश में भटक कर थक चुके युवाओं को लगता है कि सरकार उनके लिए कुछ खास करने जा रही है। सरकार में शामिल पार्टियों ने पारा शिक्षकों से वादा किया था कि उनकी समस्याओं का स्थायी समाधान होगा। वे भी उम्मीद लगाये हैं कि नियमावली बनेगी और उन्हें स्थायी वेतनमान भी मिलेगा। गरीबों और किसानों के लिए तो वादों की झड़ी लगी थी। वे भी आशान्वित हैं कि बजट का पिटारा खुलेगा तो उनके लिए राहत की बारिश होगी। महिलाएं और गृहणियां भी उम्मीदों से भरी हैं कि उनकी रसोई सस्ती होगी और उनके लिए स्वावलंबन के रास्ते खुलेंगे। सबने कोई न कोई उम्मीद सरकार से लगा रखी है। इधर, राज्य सरकार की चिंता है कि खजाना ही खाली है और राज्य कर्ज में डूबा है। ऐसे में जनता से किये गये वादे पूरे करना आसान नहीं है। सरकार इसके लिए कसरत शुरू कर चुकी है। विभागों के साथ बैठक कर फीडबैक ले लिया गया है। अब बजट बनाने की कवायद शुरू हो गयी है। पेश है लोगों की बजट से जुड़ी अपेक्षाओं और सरकार की तैयारियों पर निगाह डालती हमारे राज्य समन्वय संपादक दीपेश कुमार की ये रिपोर्ट।
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फिल्म ‘नायक’ के नायक अनिल कपूर की तर्ज पर झारखंड की तसवीर बदलने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन प्रशासनिक ढांचे…
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